मूल निवासियों के हितों के लिए उत्तराखण्ड में जरूरी है सशक्त भू कानून-त्रिलोक चन्द्र भट्ट
1 min readहरिद्वार। लेखक त्रिलोक चन्द्र भट्ट ने कहा कि मूल निवासियों के हितों के लिए उत्तराखण्ड में सशक्त भू कानून जरूरी है।श्री भट्ट ने कहा कि जब किसी समाज की संस्कृति,परंपरा ,अस्मिता और पहचान पर बाहरी हस्तक्षेप बढ़ने लगता है तो एक दिन लोगों के सब्र का बांध टूट ही जाता है। यही एक सितम्बर को उत्तराखण्ड की ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैण में भी हुआ। उत्तराखण्ड में सख्त भू कानून,मूल निवास और स्थायी राजधानी के मुद्दे पर,लोगों के अंदर ही अंदर सुलग रही विरोध की ज्वाला जब बाहर निकली तो गैरसैण की सड़कों पर जनसैलाब सैलाब उमड़ आया। उत्तराखण्ड राज्य आन्दोलन के दौर की याद ताजा करने वाली इस स्वाभिमान महारैली ने यह साफ संकेत दिया है कि जो उत्तराखण्ड के हित की बात करेगा, वही यहां राज भी करेगा। भट्ट ने कहा कि उत्तराखण्ड के लोग यूं ही आन्दोलित नहीं हैं। यहाँ राज्य सरकार की नाक के नीचे,24साल से लोगों के हितों पर,डाका पड़ रहा है। 2003 में नारायण दत्त तिवारी सरकार ने भू कानून में संशोधन किया। तब बाहरी लोगों के लिए कृषि भूमि की खरीद 500 वर्ग मीटर तक सीमित की गई। 2008 में मुख्यमंत्री भुवन चन्द्र खंडूरी ने इसमें सख्ती लाते हुए भूमि खरीद की सीमा घटाकर 250 वर्ग मीटर किया। लेकिन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के कार्यकाल 2018 में उद्योग स्थापित करने के उद्देश्य से पहाड़ में जमीन खरीदने की अधिकतम सीमा और किसान होने की बाध्यता ही खत्म कर दी गई। उपर से,कृषि भूमि का भू उपयोग बदलना भी आसान कर दिया गया। मौजूदा धामी सरकार ने भी एक तरफ कानून में ढील दी तो दूसरी ओर भू-सुधार के लिए एक समिति भी गठित की। लेकिन 2022 में समिति द्वारा सख्त भू कानून सुझावों के साथ सौंपी गयी रिपोर्ट के बाद से, आज तक धरातल पर कुछ भी नहीं बदलाव नहीं आया है। यही उत्तराखण्ड के लोगों की बड़ी नाराजगी का कारण है.उत्तराखण्ड में बड़े पैमाने पर भूमि की अनियोजित खरीद-फरोख्त के कारण जो जनसांख्यकीय बदलाव आया है,उसने उत्तराखण्ड के मूल निवासियों के लिए कई समस्याएं पैदा कर दी हैं। सख्त भू कानून लागू न होने के कारण बाहरी लोग,बड़े पैमाने पर यहां की जमीनों को खरीद कर राज्य के संसाधनों पर अपना प्रभुत्व स्थापित कर रहे हैं, उत्तराखंड ही एकमात्र ऐसा राज्य है जहां के नेताओं और सरकारों ने भू कानून को अपनी लाभ-हानि की दृष्टि से देखते हुए बाहरी लोगों को जमीने खरीदने की छूट दे रखी है।