त्रिदिवसीय वेद विज्ञान संस्कृति महाकुम्भ सम्पन्न
1 min readभारतीय संस्कृति ज्ञान के प्रति प्रतिबद्धता सिखाती है – आरिफ मोहम्मद खान
हरिद्वार। वेद विज्ञान संस्कृति महाकुम्भ के समापन सत्र में केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि भारतीय संस्कृति ज्ञान के प्रति प्रतिबद्धता रखना सिखाती है तथा भारतीय संस्कृति विभेदकारी न होकर समावेशी है क्योंकि इसमें आत्मा को आधार माना है। राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि गुरुकुल काँगड़ी मात्र एक विश्वविद्यालय नहीं है बल्कि यह विश्वविद्यालय से बढ़कर है क्योंकि यहाँ आत्मबोध की शिक्षा दी जाती है इसलिए गुरुकुल पर बड़ी जिम्मेदारी है। भारतीय संस्कृति के वैभव पर चर्चा करते हुए उन्होने कहा कि भारत की संस्कृति ने विश्व को नई दृष्टि दी है क्योंकि इसने मानवता का दिव्यताकरण और दिव्यता का मानवीयकरण करने का कार्य किया है। आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि ज्ञान की सभी शाखाओं में आध्यात्मिक दृष्टिकोण भारतीय ज्ञान परंपरा की देन है और हमें इस विरासत पर गर्व होना चाहिए। वेद विज्ञान संस्कृति महाकुम्भ के संरक्षक डॉ.सत्यपाल सिंह ने कहा कि स्वामी दयानंद ने ईश्वर,वेद और सत्य के लिए अपने जीवन को देश को समर्पित किया था तथा उनके शिष्य स्वामी श्रद्धानन्द ने देश की चेतना में भारतीयता के बीज रोपित किए आजादी का आंदोलन में स्वामी श्रद्धानन्द की अग्रणीय भूमिका थी। डॉ.सत्यपाल सिंह ने कहा कि स्वामी दयानंद ने देश में पाखंड खंडनी पताका पहराया और स्वामी स्वामी श्रद्धानन्द ने जामा मस्जिद को वेद मंत्रो से गुंजाएमान कर दिया था। इस अवसर पर स्वागत वक्तव्य में कुलपति प्रो. सोमदेव शतांशु ने कहा कि वैदिक ज्ञान विज्ञान और वेद के वास्तविक स्वरूप की स्थापना स्वामी दयानंद ने की थी वसुधैव कुटुम्बकम वेद की मूल भावना है यह मनुष्य बनने की प्रेरणा देता है। प्रो.सोमदेव शतांशु ने स्वामी दयानंद की 200वीं जयंती पर उपस्थित छात्र-छात्राओं से आहवाह्न किया कि प्रत्येक जन 200लोगो तक वेदों का ज्ञान लेकर जाने का संकल्प लेना चाहिए। इस अवसर पर गुरुकुल प्रभात आश्रम के स्वामी विवेकानंद ने कहा कि हम सब को माली की तरह गुरुकुल की रक्षा करनी चाहिए। सत्य की रक्षा करना सब आर्यों का धर्म है। उन्होने कहा कि स्वामी श्रद्धानन्द ने वैदिक विज्ञान के लिए यह विश्वविद्यालय बनाया है इस विश्वविद्यालय को वैदिक ज्ञान को आगे बढ़ाना चाहिए। उन्होने कहा कि मर्यादा पुरुषोत्तम राम का जीवन वेद की व्याख्या है। समापन समारोह का संचालन डॉ.अजय मलिक ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन कुलसचिव प्रो.सुनील कुमार ने किया। इस अवसर पर मुख्य संयोजक प्रो.प्रभात कुमार, प्रो अंबुज शर्मा, प्रो.सुचित्रा मलिक, प्रो.ओम प्रकाश पाण्डेय,प्रो.डी. एस. मलिक,डॉ.गगन माटा,डॉ.अरुण कुमार,डॉ.शिव कुमार चौहान,डॉ.अजित तोमर,डॉ राजुल भारद्वाज ,डॉ शिव कुमार चौहान,रजनीश भारद्वाज,नरेंद्र मलिक,दीपक वर्मा,रमेश,दीपक आनंद सहित छात्र छात्राएँ उपस्थित रहे।
विकिपीडिया के स्थान पर वैदिकपीडिया बनाए जाने की आवश्यकताः स्वामी चिदानंद मुनि
हरिद्वार। वेद विज्ञान संस्कृति महाकुम्भ में‘वसुधैव कुटुम्बकम एवं विश्व शांति का आधार भारतीय संस्कृति‘ विषयक सत्र में परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानंद मुनि ने कहा कि देश की रियल जीडीपी किसान,संत और जवान हैं आज वेद के मंत्र सम्पूर्ण विश्व को आलोकित कर रहे हैं। स्वामी चिदानंद मुनि ने कहा कि वैदिक विचार वैश्विक विचार है वेद भाषा विश्व भाषा है और वेद से उपजा बोध वैश्विक बोध है। उन्होने कहा आज हमें विकिपीडिया के स्थान पर वैदिकपीडिया बनाए जाने की आवश्यकता है ताकि वेद का ज्ञान विश्व को उपलब्ध हो सके और हम इस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। कार्यक्रम में पतंजलि विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि महापुरुष संसार की विकृति से प्रेरित होकर सृजन करने का कार्य करते हैं ऐसा ही कार्य स्वामी दयानंद और स्वामी श्रद्धानन्द ने किया था उन्होने समाज को अपने तपोबल से नई दिशा दिखायी। आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि हमें स्वामी श्रद्धानन्द का अनुगामी बनाना चाहिए और अनुगामी बनने के लिए साधन नहीं समर्पण की आवश्यकता है। इस सत्र में पूर्व मुख्यमंत्री डॉ.रमेश पोखरियाल ‘निशंक‘ ने कहा कि वेद के ज्ञान से ही सम्पूर्ण विश्व में सुख, शांति और समृद्धि संभव है। पश्चिम की संस्कृति दुनिया को बाजार मानती है और हमें विश्व को एक परिवार माना है यह भेद हमें दुनिया से भिन्न करता है। डॉ.रमेश पोखरियाल ‘निशंक‘ ने कहा कि भारत की ज्ञान की महाशक्ति बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है गुरुकुल काँगड़ी मानव चरित्र निर्माण का कार्य करता है इसलिए नई शिक्षा नीति के क्रियान्वन में गुरुकुल अन्य विश्वविद्यालयों का नेतृत्व करेगा। सत्र में महामंडलेश्वर उमाकांत सरस्वती ने कहा कि स्वामी दयानन्द सबसे बड़े दलितोद्धारक और नारी उद्धारक थे हम उनके पदचिन्हों पर चल सके यह उनके प्रति हमारी सच्ची श्रद्धांजलि होगी। उन्होने कहा कि वह दिन दूर नहीं है जब भारत विश्व का नेतृत्व करेगा। महामंडलेश्वर उमाकांत सरस्वती ने कहा राष्ट्रीय एकता के लिए दयानंद का मार्ग ही उपयुक्त मार्ग है और यह कार्य संवेदना के परिष्कार का कार्य भी करेगा। सत्र में सार्वदेशिक आर्य प्रतिनिधि सभा के प्रधान स्वामी आर्यवेश ने कहा धर्म ईश्वर द्वारा स्थापित व्यवस्था है और वेद के माध्यम से धर्म स्थापित हुआ है। उन्होने कहा विश्व शांति का मार्ग नियम के माध्यम से खोजा सकता है इसे पर एक वैश्विक सहमति बनाई जानी चाहिए। इस अवसर पर आधुनिक भीम विश्वपाल जयंत,स्वामी आदित्यवेश ,स्वामी अग्निव्रत नैष्ठिक, डॉ.दीनानाथ, प्रो.ओम प्रकाश पाण्डेय,वैदिक विद्वार ज्वलंत शास्त्री सहित गणमान्य संत और शोध अध्येता छात्र-छात्राएँ उपस्थित रहें।