इतिहास: शून्य से शिखर तक पहुंची भाजपा
1 min read– विष्णुदत्त शर्मा
भारतीय जनता पार्टी का इतिहास भारतीय जनसंघ से जुड़ा है। जनसंघ की नींव डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी ने रखी थी। स्वतंत्रता के बाद पंडित जवाहर लाल नेहरू की अगुवाई वाली कांग्रेस सरकार में डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी सम्मिलित रहे थे किंतु नेहरू-लियाकत समझौते का विरोध एवं पंडित नेहरू की मुस्लिम तुष्टिकरण की नीति के विरोध में डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने 19 अप्रैल 1950 को केंद्रीय उद्योग मंत्री के पद से त्यागपत्र देकर कांग्रेस के विकल्प के रूप में एक नया राजनीतिक दल खड़ा करने का निर्णय किया। 21 अक्टूबर 1951 को दिल्ली में जनसंघ की स्थापना हुई थी जिसके संस्थापक के रूप में डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी, प्रोफेसर बलराज मधोक , पंडित दीनदयाल उपाध्याय प्रमुख थे और जनसंघ का चुनाव चिन्ह दीपक तथा झंडा भगवा रंग का रखा गया। देश में सामान नागरिक सहिता, गौहत्या पर प्रतिबंध एवं जम्मू कश्मीर से धारा 370 को समाप्त करना जनसंघ की राजनीति के प्रमुख विषय थे। वर्ष 1975 तक जनसंघ इन्ही मुद्दों को लेकर अपनी राजनीति कर रहा था किंतु इंदिरा गाँधी द्वारा आपातकाल की घोषणा एवं आपातकाल के विरोध में सयुंक्त मोर्चा खड़ा करने के उद्देश्य से तत्कालीन जनसंघ के नेतृत्वकर्ताओं ने 1977 में जनसंघ का विलय जनता पार्टी में किया किंतु अपने वैचारिक अधिष्ठान के स्वाभिमान हेतु जनता पार्टी से अलग होकर अटल बिहारी वाजपेयी जी, लाल कृष्ण आडवाणी जी सहित जनसंघ के अन्य नेताओं ने 6 अप्रैल, 1980 को पंच निष्ठाओं के आधार पर भारतीय जनता पार्टी के नाम से नए राजनैतिक दल की स्थापना की।
भारतीय जनता पार्टी के शून्य से शिखर की इस 44 वर्षों की यात्रा में कई अच्छे-बुरे पड़ाव आये है किंतु अपने ध्येयों की वजह से हमारा संगठन अपने मूल विचार पर आज भी चट्टान की भांति अडिग है। श्रद्धेय अटलजी संगठन के पहले अध्यक्ष बने एवं 1980 में भारतीय जनता पार्टी का प्रथम अधिवेशन मुंबई में आयोजित किया गया था। अपने अध्यक्षीय भाषण में अटलजी ने भविष्यवाणी की थी, वो आज सत्य सिद्ध हो चुकी है। उन्होंने कहा था- ”मैं ये भविष्यवाणी करने का साहस करता हूं कि अंधेरा छंटेगा, सूरज निकलेगा, कमल खिलेगा”। मूलतः भाजपा की यह यात्रा एक विचार की है जिसके आधार पर भाजपा देश के अन्य राजनीतिक दलों से अलग है। भारतीय जनता पार्टी की प्रदेश इकाई का अध्यक्ष होने के नाते मैं यह गंभीरता के साथ कह सकता हूँ कि वर्तमान राजनीति में संभवतः भाजपा ही एक मात्र राजनीतिक पार्टी है जो व्यक्ति या परिवार पर आधारित ना होकर अपनी विचारधारा पर आधारित है। हमारी इसी वैचारिक स्पष्टता एवं अपने कार्यों के प्रति सक्रियता से ऐसे अनेक विषयों का समाधान हुआ है, जिनकी कल्पना करना भी असंभव था।
दो सीटों पर विजय से शुरू हुआ भाजपा का संसदीय सफर आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में 400 का जादुई आकंडा छूने के नजदीक है। आज देश के हर कोने में भाजपा की सशक्त उपस्थिति है। आज भाजपा के बिना देश में कोई राजनीतिक प्रक्रिया सम्भव नहीं है। पूर्वोत्तर के जिन राज्यों में भाजपा का सत्ता में आना कुछ समय पहले तक मृग मरीचिका माना जाता था, वहाँ की जनता ने भी भाजपा को अपना आशीर्वाद दिया और असम, त्रिपुरा, मणिपुर सहित अन्य राज्यों में भी भाजपा की सरकारें बनीं। कश्मीर से कन्याकुमारी तक भारत की हर छोटी से बड़ी पंचायत में भाजपा की प्रभावी उपस्थिति दिनोंदिन बढ़ रही है। अब चहुँओर कमल ही खिलता दिखाई दे रहा है। चप्पा चप्पा भाजपा, यह अब नारा नहीं आज की तारीख में एक हकीकत बन चुका है। जिन सपनों को लेकर जनसंघ से लेकर भाजपा के कार्यकर्ता गाँव-गाँव गए, वे आज साकार हुए हैं। इस दीर्घकालिक प्रक्रिया में पार्टी ने एक से बढ़कर एक पराक्रमी और परिश्रमी नेतृत्व देखा। स्वएर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी जी से लेकर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी तक भाजपा ने देश की दलगत राजनीति में ऐसे प्रेरणा के पुँज दिए हैं, जिनकी आभा से राजनीतिक जगत जगमगा रहा है।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के रूप में हमारे नेतृत्व की संकल्प शक्ति की वजह से ही लगभग पांच सौ वर्षों की प्रतीक्षा के पश्चात आज अयोध्या में भव्य और दिव्य राम मंदिर के निर्माण का सपना वास्तविकता बना है। हमारे संस्थापकों ने एवं भाजपा के असंख्य कार्यकर्ताओं ने श्री रामलला को अपने मंदिर में विराजमान देखने हेतु अपनी चुनी हुयी सरकारें भी न्योछावर कर दीं, यह अपने विचारधारा पर अडिग रहने का एक उदाहरण मात्र है। हमारे पितृपुरुषों का संकल्प एवं एक देश में “दो विधान दो प्रधान दो निशान नहीं चलेंगे की पूर्ति स्वरूप प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी की सरकार द्वारा लिया गया अनुच्छेद 370 को हटाने का ऐतिहासिक निर्णय हमारी ध्येय पूर्ति की यात्रा का और एक महत्वपूर्ण पड़ाव है। वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की सरकार एवं हमारे पूर्व राष्ट्री य अध्यक्ष एवं देश के वर्तमान गृह मंत्री अमित शाह जी के कार्यकाल में भाजपा ने अटलजी की सरकार तथा तत्कालीन संगठन की नीतियों को दिशा देने के प्रयास के साथ ही अपनी विचारधारा अनुरूप “राष्ट्र सर्वोपरि मानकर अनेकानेक ऐतिहासिक निर्णय किये हैं, जो हमारी विचारों की स्पष्टता को प्रतिलक्षित करते हैं। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की दृढ इच्छाशक्ति से जो सपना हमारे संस्थापकों ने भारत को विश्व गुरु बनाने का देखा था आज उस ओर हम कर्तव्यपरायणता के साथ अग्रसर हैं।
हमारी ध्येय यात्रा में केंद्र में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व वाली पूर्ण बहुमत की सरकार आते ही तीन तलाक कानून, नागरिकता संशोधन कानून, आपराधिक न्यायिक कानूनों में बदलाव के साथ ही पंडित दीनदयालजी जी के अंत्योदय पर आधारित गरीब- कल्याण की योजनाओं के द्वारा करोड़ों गरीब लोगों के जीवन में परिवर्तन लाने का काम भी हुआ है। वास्तव में, केंद्र और राज्यों की हमारी सरकारें सुशासन के प्रति समर्पित रहती हैं क्योंकि यही लोकतंत्र की आवश्यकता है। भाजपा समाज के आखिरी छोर पर खड़े व्यक्ति के विकास की बात ही नहीं करती, बल्कि उसे चरितार्थ भी करती है। भाजपा द्वारा जनकल्याण के इस कार्य हेतु अनेक योजनाओं का क्रियान्वयन सुनिश्चित किया गया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व वाली हमारी केंद्र की सरकार ने अंत्योदय के सिद्धांत अनुरूप ही 50 करोड़ से अधिक लोगों के जनधन खाते खुलवाए। आयुष्मान, उज्ज्वला और आवास योजनाएं संचालित की गई। देश खुले में शौच से मुक्त हो गया, घर घर बिजली पहुंचाई। 10 करोड़ से अधिक के गैस कनेक्शन दिए। हर घर शुद्ध पेयजल पहुँचाया। यह कुछ प्रमुख कार्य है जो देश की पूर्ववर्ती सरकारों के 50 वर्षों के शासनकाल की प्राथमिकता होनी चाहिए थी, किन्तु वोट बैंक की राजनीति की वजह से किसी एक वर्ग विशेष की चिंता ही उनकी राजनीति की प्राथमिकता रही है।
आज भारत ही नहीं पूरा विश्व देख रहा है कि एक राजनीतिक दल और उसका नेतृत्व किस प्रकार अपने उन संकल्पों को पूरा करने में सफल सिद्ध हुआ है, जिन्हें पूरा करना कभी असंभव सा लगता था। अपनी सांस्कृतिक पहचान के साथ विश्व में एक बड़ी ताकत बनकर उभरे भारत ने अपने पुराने स्वाभिमान और आत्मवगौरव को भी वापस हासिल किया है। राष्ट्रीय संकट में जनकल्याण की कसौटी पर भी भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था में भाजपा के नेतृत्व ने एक अनूठा उदाहरण विश्व के समक्ष प्रस्तुभत किया है। कोरोना संकट में दुनिया के अनेक देशों ने जहाँ अपने नागरिकों को अपने हाल पर छोड़ दिया, वहीं भारत में भाजपा की प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व वाली सरकार ने अपने हर नागरिक के जीवन को अमूल्य मानते हुए उनके लिए अनाज के साथ दवाओं और अन्य वस्तुओं को उपलब्ध कराया। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने स्वदेशी वैक्सीन के आविष्कार में प्रेरक भूमिका तो निभाई ही, हर नागरिक के लिए उसे मुफ्त उपलब्ध कराने हेतु विश्व का सबसे बड़ा वैक्सिनेशन अभियान चला कर दुनिया से अपने सामर्थ्य का लोहा भी मनवा लिया। ‘‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास” ही भाजपा का जीवन-मंत्र बन गया है।
समाज के अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति की चिंता और उसके प्रति निष्ठा ने ही भाजपा को दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी बनने का गौरव प्रदान किया है। अपनी 44 वर्षों की इस यात्रा में आज हमारी भाजपा भारतीय राजनीति के जिस शीर्ष पर पहुंची है, वो हमारी विचारधारा के प्रति एकनिष्ठ और समर्पित भाव से बढ़ते रहने के कारण ही संभव हुआ है। आमजन के जीवन में बदलाव लाकर उसे देश की मुख्य भूमिका में लाने में भाजपा के नेतृत्व ने अद्भुत सफलता पायी है, इस तथ्य को संसार के लगभग सभी राजनीतिक जानकार स्वीकारते हैं। अपने 45 वें वर्ष में प्रवेश कर रहे दुनिया के सबसे बड़े राजनीतिक दल ने चार दशक पूर्व जो सपने देखे, वह तो साकार हुए ही हैं, साथ ही स्वाधीनता के अमृत वर्ष में मोदी जी के नेतृत्व में भारत 2047 के लिए अपना दिशा-सूत्र बना चुका है, जिसको पूरा करने का दारोमदार भी भारतीय जनता पार्टी के कोटि-कोटि कार्यकर्ताओं के कंधों पर है। निश्चित ही भाजपा अपनी संकल्प शक्ति, निष्ठा और नियति से इसे पूरा करेगी तथा देश के भविष्य-निर्माण की प्रक्रिया में अग्रणी भूमिका निभाते हुए संकल्प-सिद्धि की ओर अग्रसर रहेगी।( विफी)- लेखक, मध्यप्रदेश भाजपा के अध्यक्ष एवं खजुराहो लोकसभा क्षेत्र से सांसद हैं।