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छठ: आस्था का महोत्सव

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जब सूर्य के डूबने और उगने पर अर्ध्य देने का समय आता है, घाट पर खड़े होकर मैं महसूस करती हूं कि यह क्षण कितना विराट है। मुंबई में जुहू बीच पर छठ का बड़ा आयोजन संजय निरुपम पिछले तीन दशकों से करते आ रहे हैं। उस कार्यक्रम की शुरुआत 17 सालों तक मेरे गाये छठ गीतों से होती रही है। जन आस्था के उस समंदर में गोता लगाते हुए श्रोता दर्शक चारों ओर गूंज रहे छठ गीतों के मधुर स्वर को सुन जिस तरह भक्तिरस से आह्लादित व तरंगित हो उठते हैं, वह देखने लायक होता है। छठ गीत न केवल छठ का पर्याय हैं बल्कि हमारी उस आत्मीयता के प्रतीक हैं जो हमें हमारी माटी से जोड़ते हैं। यह केवल एक परंपरा नहीं, बल्कि वह बंधन है जो मुझे अपने पूर्वजों और अपने लोक से जोड़ता है।
इस पर्व में विभिन्न धर्मों और संस्कृतियों के लोग भी शामिल होते हैं। छठ का यह अनूठा पर्व आज देश की सीमाओं को पार कर विदेशों तक अपनी जगह बना चुका है। मुझे गर्व है कि मैं इस परंपरा का हिस्सा हूं, और हर वर्ष छठ के आते ही मेरे अंदर का यह भाव और मजबूत हो जाता है कि हमारी संस्कृति, हमारी आस्था और हमारा लोक कभी पुराना नहीं होता।
(लेखिका विजया भारती आकाशवाणी-दूरदर्शन की टॉप ग्रेड कलाकार, बिहार की सुप्रसिद्ध लोकगायिका, कवयित्री और लोक संस्कृति की मर्मज्ञ हैं। उन्होंने भारतीय लोक संगीत को देश और दुनिया में पहुंचाया है।विजया भारती के 8 काव्य संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विजया जी को पत्र लिखकर कुपोषण और बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया है।)
अनुवाद:
जब मैं सूर्यास्त और सूर्योदय के समय अर्घ्य देने के लिए घाट पर खड़ी होती हूं, तो मुझे एक अद्भुत अनुभव होता है। मुंबई के जुहू बीच पर पिछले तीस वर्षों से संजय निरुपम छठ का एक बड़ा आयोजन करते आए हैं। उस कार्यक्रम में पिछले सत्रह वर्षों से मेरा शुरूआती गीत रहा है। जब मैं जनता की आस्था के सागर में डूब जाती हूं और चारों ओर छठ गीतों की मधुर धुनें सुनती हूं, तो लोग भक्ति भाव से भर जाते हैं। यह देखना अद्भुत होता है। छठ गीत न केवल छठ का प्रतीक हैं बल्कि हमारी मिट्टी से जुड़ेपन का भी प्रतीक हैं। यह सिर्फ एक परंपरा नहीं है, बल्कि यह मेरे पूर्वजों और मेरे समाज से जुड़ने का एक बंधन है।
इस त्योहार में विभिन्न धर्मों और संस्कृतियों के लोग शामिल होते हैं। छठ अब देश की सीमाओं को पार करके विदेशों में भी मनाया जाता है। मुझे गर्व है कि मैं इस परंपरा का हिस्सा हूं और हर साल छठ आने पर मुझे और अधिक गर्व महसूस होता है कि हमारी संस्कृति, हमारी आस्था और हमारा समाज कभी पुराना नहीं होता।
(लेखिका विजया भारती आकाशवाणी-दूरदर्शन की एक शीर्ष कलाकार हैं और बिहार की एक प्रसिद्ध लोक गायिका, कवयित्री और लोक संस्कृति की जानकार हैं। उन्होंने भारतीय लोक संगीत को देश और दुनिया में प्रसिद्ध किया है। विजया भारती के 8 काव्य संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विजया जी को कुपोषण और बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया है।)

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