शहीदों का बलिदान व्यर्थ नहीं जाना चाहिए: जिलाधिकारी
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हरिद्वार: सैनिक कल्याण विभाग द्वारा सोमवार को जिला कार्यालय सभागार में आयोजित विजय दिवस समारोह में जिलाधिकारी, वीरनारियों तथा पूर्व सैनिकों ने शहीदों को श्रद्धांजलि दी। पुलिस ने गार्ड ऑफ ऑनर दिया और दीप जलाकर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। इस अवसर पर जिलाधिकारी कर्मेंद्र सिंह ने पूर्व सैनिकों को शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया।
डीएम ने कहा, “16 दिसंबर 1971 को भारतीय सेना ने पाकिस्तान सेना को घुटने के बल आने को मजबूर किया था। 1971 में पाकिस्तानी सेना ने भारतीय सेना के सामने समर्पण किया था और एक नए राष्ट्र बांग्लादेश का निर्माण हुआ था। हमारे शहीदों का बलिदान किसी भी दशा में व्यर्थ नहीं जाना चाहिए। एक सुरक्षित राष्ट्र निर्माण के स्वप्न को साकार करने के लिए हम सब की जिम्मेदारी है।”
उन्होंने आगे कहा, “पूर्व सैनिक और उनके परिवारों ने जो कुर्बानी दी है, देश सेवा में जो समय दिया है, उस सब की बदौलत ही हमारे देश की सीमाएं सुरक्षित हैं। जब देश की सीमाएं सुरक्षित होती हैं तभी देश के अंदर शांति और समृद्धि होती है। अगर बॉर्डर में अशांति होती है तो देश में भी अशांति होती है।”
डीएम ने यह भी कहा कि हर प्रकार की स्थिरता, शांति, समृद्धि के लिए सीमाओं का सुरक्षित रहना जरूरी है और यह सारा सैनिकों के माध्यम से होता है। उन्होंने कहा कि हमारी नई पीढ़ी में राष्ट्र प्रेम की भावना कूट-कूट कर भरने के लिए एनसीसी सशक्त माध्यम है।
कार्यक्रम में जिला सैनिक कल्याण एवं पुनर्वास अधिकारी विंग कमाडर डा.सरिता पवॉर ने समस्त पूर्व सैनिक, वीरनारियों, आश्रितों व जनपद के समस्त गणमान्य नागरिकों का स्वागत किया और विजय दिवस के इतिहास एवं सैनिक कल्याण विभाग द्वारा संचालित योजनाओं की जानकारी दी। समारोह में 31 यू.के एनसीसी कैडट्स द्वारा देशभक्ति गीत प्रस्तुत किया गया। मुख्य अतिथि ने जनपद की वीरनारियों, वीरता पदक प्राप्त पूर्व सैनिकों व 1971 के भारत-पाक युद्ध के समय सेवारत सैनिकों को शाल भेंट कर सम्मानित किया।
जिला सैनिक कल्याण अधिकारी ने 1971 के युद्ध में भारतीय सैन्य बलों की वीरता और शौर्य पर प्रकाश डाला और नागरिकों से सैनिकों के बलिदान को हमेशा याद रखने का आह्वान किया। कार्यक्रम के अंत में राष्ट्रगान के साथ समारोह का समापन हुआ।
इस दौरान एसएलओ लक्ष्मीराज चौहान, उपजिलाधिकारी अजयवीर सिंह, मुख्य वैयक्तिक अधिकारी सुदेश कुमार सहित पूर्व सैनिक एवं आश्रितों तथा वीरांगनाएं आदि उपस्थित थे।