माता गौरा देवी के जन्मशताब्दी वर्ष-2025 को “वृक्ष सुरक्षा वर्ष” के रूप में मनाया जाएगा- ग्रीन मैन
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हरिद्वार, उत्तराखंड: उत्तराखंड राज्य के रजत जयंती वर्ष के अवसर पर, भारतीय वृक्ष न्यास (ट्री ट्रस्ट ऑफ इंडिया) ने एक महत्वपूर्ण पहल की घोषणा की है। ‘चिपको आंदोलन’ की प्रणेता माता गौरा देवी के जन्मशताब्दी वर्ष-2025 को “वृक्ष सुरक्षा वर्ष” के रूप में मनाया जाएगा। इसके अंतर्गत, 24 से 30 मार्च 2025 तक “वृक्ष सुरक्षा सप्ताह” का आयोजन किया जाएगा, जिसके दौरान पूरे उत्तराखंड में “चिपको चेतना यात्रा” संचालित की जाएगी।
यह जानकारी भारतीय वृक्ष न्यास के अध्यक्ष ग्रीनमैन विजयपाल बघेल ने हरिद्वार प्रेस क्लब में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में दी। उन्होंने बताया कि यह यात्रा 24 मार्च को चमोली जिले के जोशीमठ के निकट रैणी गांव तपोवन से शुरू होगी, जिसे उत्तराखंड विधानसभा अध्यक्ष श्रीमती ऋतु खंडूरी हरी झंडी दिखाकर रवाना करेंगी। यात्रा का समापन 30 मार्च को ऋषिकेश के परमार्थ निकेतन में दिव्य गंगा आरती के साथ होगा।
ग्रीनमैन ने जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग के गंभीर खतरों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वनों की सुरक्षा और हरित क्षेत्र में वृद्धि ही इन चुनौतियों का सामना करने का एकमात्र तरीका है। उन्होंने माता अमृता देवी विश्नोई के ‘सिर साटे रुख बचे तो भी सस्ती जान’ के आदर्श वाक्य और माता गौरा देवी के ‘चिपको आंदोलन’ के महत्व को भी याद दिलाया।
चिपको चेतना यात्रा के समन्वयक केदार जोशी ने यात्रा के मार्ग की जानकारी देते हुए बताया कि यह यात्रा उत्तराखंड के सभी 13 जिलों से होकर गुजरेगी। इसमें रैणी तपोवन, जोशीमठ, गोपेश्वर, बागेश्वर, चंपावत, पिथौरागढ़, अल्मोड़ा, हल्द्वानी, रुद्रपुर, श्रीनगर, रुद्रप्रयाग, टिहरी, उत्तरकाशी, मसूरी, देहरादून, हरिद्वार और ऋषिकेश जैसे प्रमुख स्थान शामिल हैं।
डॉ. अर्चना ने सहयोगी संस्थाओं के बारे में बताया कि यह अभियान उत्तरांचल उत्थान परिषद, लोक भारती और पर्यावरण गतिविधि के सहयोग से आयोजित किया जा रहा है। युवा संत समाज की महत्वपूर्ण भूमिका की घोषणा रविदेव शास्त्री ने की। टीटीआई के संरक्षक जगदीश लाल पाहवा ने बताया कि दस लोगों का यात्रा दल पूरे उत्तराखंड में 18 अलग-अलग स्थानों पर जन जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करेगा।
इस संवाददाता सम्मेलन में विनोद मित्तल, प्रमोद शर्मा, ओपी सिंह, एसएस राणा, विश्वास सक्सेना, राकेश अरोड़ा आदि उपस्थित थे।